रूपये का इतिहास और प्राचीन भारतीय मुद्रा
भारतीय रुपये का इतिहास बहुत पुराना है। ... रुपये शब्द का प्रयोग सबसे पहले शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 के बीच अपने शासन के दौरान किया। उन्होंने रुपये का जो सिक्का चलाया वह चांदी का था जिसका वज़न लगभग 11.543 ग्राम था। उसने तांबे के सिक्के जिन्हें 'दाम' कहते थे और सोने के सिक्के जिन्हें 'मोहर' कहते थे, भी चलाए।
भारत में पहली बार चलने का संदेश शेरशाह सूरी ने सन 1540-45 में शुरू किया। इस लेख का वजन का वजन 11.66 ग्राम था और इसका वजन 91.7 प्रतिशत तक था। भारत में स्थिरता बनी हुई है। पहली बार (11.66 ग्राम) को 16 या 64 पैसे या 192 पे. इन सब प्राचीन मुद्रा के बारे में पूरी जानकारी नीचे दी हुई हे जिस में आपको सबसे पहले कोन सी मुद्रा थी और उन मुद्रा मेसे कोण सी मुद्रा बानी उस के बारे मे निचे बताया गया है |
प्राचीन भारतीय मुद्रा
फूटी कौड़ी : से : कौड़ी
कौड़ी : से : दमड़ी
दमड़ी : से : धेला
धेला : से : पाई
पाई : से : पैसा
पैसा : से : आना
आना : से : रूपया
256 दमड़ी = 192 पाई = 128 धेला = 64 पैसा = 16 आना = 1 रूपया
3 फूटी कौड़ी = 1 कौड़ी
10 कौड़ी = 1 दमड़ी
2 दमड़ी = 1धेला
1.5 पाई = 1धेला
3 पाई = 1पैसा
4 पैसा = 1आना
16 आना = 1रूपया
- प्राचीन मुद्रा की प्रचलित कहावते
चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाए || पाई-पाई का हिसाब रखना
सोलह आने सच
ऐसे ही प्राचीन मुद्रा ने हमारी बोल चाल की भाषा को कई कहावते दी है ,प्राचीन मुद्रा की काफी प्रचलित कहावते जो पहले की तरह इस समय भी काफी प्रचलित हे |