रावण को रावण नाम किस ने दिया था ( Who gave the name Ravana to Ravana? )
( Ravana ko ravana name kis ne diya tha )
रामायण का एक मुख्य पात्र है रावण | रावण सारस्वत ब्राह्मणपुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण एक परम भगवान शिव भक्त था और रावण लंका का राजा था | रावण के नाम का अर्थ होता है जो तेज आवाज में दहाड़ता हो और इस के इलावा भी रावण के कई नाम है ,जैसे लंकेश ,लंकापति ,दशानन ,रावण ये सब रावण के मुख्य नाम है | और रावण का असली नाम दशग्रीव था | रावण नाम के पीछे भी एक कहानी है जिस की वजह से दशग्रीव का नाम रावण पड़ा था |
रावण को रावण नाम भगवान शिव ने दिया था। इस के पीछे एक कहानी है | इस कहानी में रावण एक बार अपने भाई कुबेर से पुष्पक विमान छीनने के बाद रावण वनों और पहाड़ो की सैर करने लगा | और घूम ते घूम ते रावण कैलाश पर्वत पहुंच गया | और रावण कैलाश पर्वत में घुस ने लगा रावण को आते देख शिवगणो ने उसे रोक दिया लेकिन रावण नहीं माना फिर रावण को नंदीश्वर ने समझाया फिर भी रावण नहीं माना और उस के बाद रावण गुस्से में आ गया और रावण कैलाश पर्वत में घुस ने लगा |
रावण ने देखा की भगवान शिव के निकट ही नंदीश्वर शूल को हाथ में लेकर खड़े थे | उस के बाद रावण ने नंदीश्वर को पशु समान मुख को देखकर हसना शुरू कर दिया | और उस के बाद नंदीश्वर ने रावण को श्राप देते हुई कहा की तुम ने मेरे जिस पशु रूप का मजाक किया है ,ऐसा ही पशु रूप वाला कोई तुम्हारे कुल का और तुम्हारे मंत्रियो तथा पुत्रो का भी अंत कर देगा | नंदीश्वर ने तो ये भी कहा था की रावण तुम्हे तो में इस वक्त ही मरने की शक्ति रखता हु लेकिन तुम्हे मरूंगा नहीं , क्योकि तुम तो अपने कर्म से ही मरा हुवा है और में मरे हुए को मरता नहीं हूँ | नंदीश्वर से श्राप मिलने के बाद रावण ने पर्वत के सामने खड़े होकर अत्यंत क्रोध में ये कहा की जिस ने भी पुष्पक विमान को रोकने की चेष्टा की हे में उस पर्वत को ही में जड़ से उखाड़ फेकता हु |
रावण ने क्रोध में ये बात बोलने के बाद रावण कैलाश पर्वत को उठाने लगा ,इसी के साथ पूरा कैलाश पर्वत हिलने लगा और कैलाश पर्वत पे पूरी तरीके से हड़कम मच गया | ये देखकर भगवान शंकर ने अपने अगूढ़े से कैलाश पर्वत को दबा दिया | जैसे ही भगवान शंकर ने अगूढ़े से कैलाश पर्वत को दबा वैसे ही रावण के हाथ पर्वत के नीचे दब गए ,और राक्षस राज रावण जोर से कराहने लगा | जिसे तीनो लोको में हाहाकार मच गया |
रावण को ऐसे मुसीबत में देख कर रावण के मंत्रीओ ने रावण से कहा की महाराज आपको इस मुसीबत से सिर्फ भगवान शंकर ही आपको बचा सकते है | आप शिव के सरण में जाइ और ये बात सुन कर रावण ने भगवान शिव को प्रसन करने के लिए साम वेदोक्त स्त्रोतों द्वारा उनकी स्तुति करने लगा और एक हजार वर्ष तक स्तुति करता रहा | और भगवान शिव ने प्रसन हो कर रावण के भुजाओ को मुक्त किया | इस के बाद भगवान शिव ने रावण को कहा की दसानन तुम वीर हो में तुम से प्रसन हु | जब तुम हरी भुजाओ पर्वत के निचे दबा था ,तब तूम जिस तरह चीखे थे और जिस की वजह से तीनो लोको के प्राणीओ में हलचल मच गई थी | इस कारण से तुम अब रावण के नाम से जने जाओगे | इस तरह भगवान शंकर ने दशग्रीव को यानिकि दशानन को रावण नाम दिया था |